हाँ मैं गाँधी हूँ, किन्तु सत्ता का भोगी नहीं, देश का स्वाभिमान हूँ, परतंत्रता मुझे सहन नहीं चाहे जो कहता हैं, कहने दो मैने बोलकर नही कहकर, करके दिखलाया है आज स्वतंत्र…
डॉ अनूपा कुमारी सत्य – असत्य के बीच उधेड़-बुन में उलझा मानव कभी दिल तो कभी दिमाग से बहुत कुछ सोचता है सोचता ही रहता है किन्तु परिणाम तक नहीं पहुंच पाता…
प्रतिमा सिंह, मऊ हां मैं बोल जाती हूं ज्यादा कभी-कभी, क्योंकि मैं खुद को संभालना नहीं जानती। हां मैं कर जाती हूं नादानियां कभी-कभी क्योंकि मैं समझना नहीं जानती। हां मैं बन…