बृजेश गिरि बावफा होने से अच्छा है बेवफा होना, बहुत मुश्किल है इस जमाने में अच्छा होना कैसे-कैसे लोगों को मिल गई मंजिलें, मेरी किस्मत में लिखा है तुझसे जुदा होना। आज…
वरिष्ठ साहित्यकार, एसो. प्रोफेसर राजकीय कला पीजी कॉलेज, अलवर शहर हो या देहात में औरत जीवन की हर बात में औरत टूटी छत की चिंताएँ ले छत पर है बरसात में औरत…
आनंद कुमार सच में कितना प्यारा था मेरे नानी का घर… चापा कल से, पानी का भरना नदी में जाकर, छप्प-छप्प नहाना बगीचे में जाकर, शरीफा को खाना, आम के पेड़ पर,…
अभिनेता, रंगकर्मी, निर्देशक, लेखक श्री अविनाश पाण्डेय जी की ग़ज़ल बेकरार दिल है ये, ढूँढता करार है है किधर सुकूं पड़ा, उलझने हज़ार हैं… बेसबब से अश्क क्यूँ, कर रहे हैं चश्मेनम…
मन के सांकल खटखटाती श्रीमती अनूप कटारिया जी की कविता – ” क्यूँ रंगती हूँ” क्यूँ रंगती हूँ मैँ इन डायरी के पन्नों को कौन देखेगा इन इन्द्रधनुषी रंगों को सब रंगहीन…
(प्रसिद्ध कवियित्री श्रीमती नमिता राकेश जी, दिल्ली की कविता- “युद्ध” ) युद्ध लड़ना और जीतना दो देशों या कुछ देशों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न हो सकता है, लेकिन युद्ध करना इतना…
एक कविता जन्म लेती है खेत मे फसल लहलहाने पर। एक कविता जन्म लेती है, बाग में फूल मुरझाने पर। कविताओं का जन्म निरन्तर होता रहता है हर क्षण,हर युग में। हर…