Skip to content
वीथिका
Menu
  • Home
  • आपकी गलियां
    • साहित्य वीथी
    • गैलिलियो की दुनिया
    • इतिहास का झरोखा
    • नटराज मंच
    • अंगनईया
    • घुमक्कड़
    • विधि विधान
    • हास्य वीथिका
    • नई तकनीकी
    • मानविकी
    • सोंधी मिटटी
    • कथा क्रमशः
    • रसोईघर
  • अपनी बात
  • e-पत्रिका डाउनलोड
  • संपादकीय समिति
  • संपर्क
  • “वीथिका ई पत्रिका : पर्यावरण विशेषांक”जून, 2024”
Menu

Category: सोंधी मिटटी

कविता – रेणु सिंह राधे

Posted on June 17, 2024

बहुत दिन हो गए थे उगता सूरज देखे आज देखा तो महसूस हुआ एक जरा सी नींद के लिए मेंने जानें क्या क्या ही खोया ….. लाल मद्धम रोशनी में नहाया साफ…

पेड़ मत काटो

Posted on June 17, 2024

नमिता राकेश. देखो भाई ! पेड़ मत काटो काटना है तो उन दरिंदों के सर काटो जो रात दिन  मासूम लोगों का  खून बहाते हैं  पेड़ काटने से तुम्हें क्या मिलेगा किसका…

गीत- नहीं तुम वृक्ष काटना

Posted on June 17, 2024

कवियित्री- प्रीति चौधरी”मनोरमा” मनुज नहीं तुम वृक्ष काटना,  ये ही देते हैं छाया।  हरी भरी है इनसे धरती, ये जीवों का सरमाया ।। नीड़ बनाते इन पर पक्षी,  ये ही तो उनका…

कविता – बसंत ऋतु का स्वागत

Posted on February 19, 2024

अश्वनी अकल्पित नयी दिल्ली एक: बसंत ऋतु के आगमन पर लिखे है शब्द चार दो तो ठंड से जम गए दो धूप रहे ताप दो धूप रहे ताप मन में ही मनभर…

कविता – फाँसी के फंदे पर झूलता अन्याय ?

Posted on February 19, 2024

युवा कवि अनिल कुमार केसरी देई, जिला बूंदी राजस्थान न्याय के चरम पर झूलते फाँसी के फंदे को, पता है सच और झूठ के बीच का फासला ? उसने देखा है गुनाह…

कविता – नव वर्ष

Posted on February 19, 2024

मनोज कुमार सिंह लेखक/साहित्यकार/ उप-सम्पादक, कर्मश्री मासिक पत्रिका आया नववर्ष लेकर नई सुगंध स्वर्णिम नूतन बिहान आंखों में उम्मीदों की चमक, हर सीने में सुमधुर गान, आया नववर्ष लेकर नई सुगंध स्वर्णिम…

कविता- एक दिन पहाड़ उकता उठेंगे

Posted on February 19, 2024

डॉ एस पी सती भू वैज्ञानिक पर्यावरणविद, उत्तराखंड एक दिन आएगा जब तुम्हारे कर्मों से उकता कर अचानक कुदरत समेटने लगेगी अपने पहाड़ सबसे पहले नदियों को सरकायेगी खींच कर और पहाड़…

कविता – राम

Posted on January 20, 2024

अविनाश पाण्डेय, वाराणसी राम तुम प्रसंग से परे नहीं हुए कभी अट्टहास रावणों के ध्वनित हो रहे अभी। देव, दानव, मनुज के अब रूप दिखते एक हैं भ्रमित, उद्वेलित व कुंठित नीतियों…

कविता – सब देखते रह जाएंगे

Posted on January 20, 2024

डॉ नमिता राकेश उपनिदेशक, भारत सरकार, वरिष्ठ साहित्यकार हे राम ! तुम तो पुरुषोत्तम हो जो तुम पर सवाल उठाएं वो उत्तम कैसे हो सकते हैं तुम्हारा नाम लेकर जब पत्थर तैर…

कविता – राम

Posted on January 20, 2024

© दयाशंकर तिवारी, वरिष्ठ साहित्यकार, मऊ लछिमन सीता संग गये बन दशरथ राज दुलारे राम। केवट उतराई भरपाई भव से पार उतारे राम। जूठे शबरी बेर भी खाये नारि अहिल्या तारे राम।…

Posts pagination

Previous 1 2 3 … 5 Next

Recent Posts

  • वीथिका ई पत्रिका का मार्च-अप्रैल, 2025 संयुक्तांक प्रेम विशेषांक ” मन लेहु पै देहु छटांक नहीं
  • लोक की चिति ही राष्ट्र की आत्मा है : प्रो. शर्वेश पाण्डेय
  • Vithika Feb 2025 Patrika
  • वीथिका ई पत्रिका सितम्बर 2024 ”
  • वीथिका ई पत्रिका अगस्त 2024 ” मनभावन स्वतंत्र सावन”
©2025 वीथिका | Design: Newspaperly WordPress Theme