नमिता राकेश. देखो भाई ! पेड़ मत काटो काटना है तो उन दरिंदों के सर काटो जो रात दिन मासूम लोगों का खून बहाते हैं पेड़ काटने से तुम्हें क्या मिलेगा किसका…
कवियित्री- प्रीति चौधरी”मनोरमा” मनुज नहीं तुम वृक्ष काटना, ये ही देते हैं छाया। हरी भरी है इनसे धरती, ये जीवों का सरमाया ।। नीड़ बनाते इन पर पक्षी, ये ही तो उनका…
मनोज कुमार सिंह लेखक/साहित्यकार/ उप-सम्पादक, कर्मश्री मासिक पत्रिका आया नववर्ष लेकर नई सुगंध स्वर्णिम नूतन बिहान आंखों में उम्मीदों की चमक, हर सीने में सुमधुर गान, आया नववर्ष लेकर नई सुगंध स्वर्णिम…
डॉ एस पी सती भू वैज्ञानिक पर्यावरणविद, उत्तराखंड एक दिन आएगा जब तुम्हारे कर्मों से उकता कर अचानक कुदरत समेटने लगेगी अपने पहाड़ सबसे पहले नदियों को सरकायेगी खींच कर और पहाड़…
अविनाश पाण्डेय, वाराणसी राम तुम प्रसंग से परे नहीं हुए कभी अट्टहास रावणों के ध्वनित हो रहे अभी। देव, दानव, मनुज के अब रूप दिखते एक हैं भ्रमित, उद्वेलित व कुंठित नीतियों…
डॉ नमिता राकेश उपनिदेशक, भारत सरकार, वरिष्ठ साहित्यकार हे राम ! तुम तो पुरुषोत्तम हो जो तुम पर सवाल उठाएं वो उत्तम कैसे हो सकते हैं तुम्हारा नाम लेकर जब पत्थर तैर…