अश्वनी अकल्पित नई दिल्ली बरसो बरसो सावन देखो आसमान में कारी घटा जैसे गोपियों के आंख में काजल सा घुला बरस-बरस के मन महकाती हो मन को सुखद अनुभूति कराती हो, तरस…
डॉ अन्नपूर्णा श्रीवास्तव पटना बिहार प्रेम! प्रेम! प्रेम! आखिर क्या है… प्रेम…? क्या इसकी व्याख्या हो सकती…? शायद नहीं…! यह, देह- सीमा, देश- काल, शब्द – भाव- सबसे परे है…! एक अद्वितीय…
डा. राजेश तिवारी ‘मक्खन’ झांसी उ प्र धरती मेरी माँ है इसको स्वस्थ और स्वच्छ बनायें । आओ इसकी रक्षा और सुरक्षा का दायित्व उठायें ।। अवैध और अनैतिकता से इसका खनन…
मृत्युंजय कुमार मनोज ग्रेटर नोएडा (पश्चिम), करें बूंद-बूंद की बचत हर जगह,हर समय ब्रश, शेविंग, स्नान करने से लेकर बर्तन,वाहन हर चीज धोते समय बारिश की बूंदों का घर-घर करें संरक्षण तालाब, कुंआ, टांका…
नीरज कुमार, घोसी, जनपद-मऊ आपदा में अवसर अक्सर मिल जाते हैं कांटों में रहकर भी फूल खिल जाते हैं. तुम निरन्तर कोशिशें जारी रखो अपनी कमियों पे सदा भारी रहो कड़ी लगन…
मुकेश कुमार मोदी बीकानेर, राजस्थान फूलों से दिल वालों को, कांटा चुभाया जायेगा काम निकलने के बाद, उनको भुलाया जायेगा दर्द देना है इस जमाने की, बहुत पुरानी आदत इसलिए मौका पाते…
डॉ.नितिन सेठी सी-231, शाहदाना कालोनी, बरेली (243005) रमेश गौतम प्रख्यात नवगीतकार हैं। उनके नवगीतों में प्रकृति के अनेक सुंदर चित्रण मिलते हैं। पर्वत, सागर, पंछी, हवा, नदी; सभी अपने-अपने मुखरित सौन्दर्य की…
रंजना बिनानी काव्या गोलाघाट असम सुनो धरा की करुण पुकार हरी-भरी ये ,शस्य श्यामला धरा हमारी, आओ करें.. हम इसका श्रृंगार..। मत करो ..प्रदूषित इसको, सुनो धरा की, करुण पुकार। अन्न ,फल,…
मीता लुनिवाल “मीत” जयपुर, राजस्थान आओ हम ये संकल्प करें पर्यावरण को नष्ट होने से बचाएगे जगह जगह हम पेड़ लगाए नये नये पेडो से धरती को सजाएगे देकर नवजीवन इस प्रकृति…