वीथिका ई पत्रिका सितम्बर 2024 ” Posted on October 9, 2024 वीथिका_ई_पत्रिका_सितम्बर_2024[1]Download vithika2024-10-9Download
मीठे जल का कूप न होती, हिंदी ग़ज़ल अनूप न होती। अगर कहीं ‘दुष्यंत’ न होते, फिर “साये में धूप” न होती। Reply
आपको हार्दिक बधाई।
मीठे जल का कूप न होती,
हिंदी ग़ज़ल अनूप न होती।
अगर कहीं ‘दुष्यंत’ न होते,
फिर “साये में धूप” न होती।