जय प्रकाश नारायण मिश्रा प्रयागराज पारिवारिक, सामाजिक, नैतिक और राजकीय मर्यादा में रहकर भी पुरुष उत्तम किस तरह हो सकता है यह “मर्यादा पुरुषोत्तम” राम का जीवन हमें समझाता है। स्वयं को…
डॉ नमिता राकेश वरिष्ठ साहित्यकार एवं राजपत्रित अधिकारी (गतांक से आगे …) ख़ैर साहब, रास्ते मे रुकते-रुकाते खाते-पीते हम सब चार से पांच घण्टे की यात्रा कर के देर रात भारत भूटान…
कुँवर तुफान सिंह निकुम्भ युवा कवि व साहित्यकार, मऊ राम हमारे मूल है और मूल को परिभाषित करना उतना कठिन कार्य होता है जैसे सूरज को दीपक दिखाना । राम सर्वव्यापी हैं…
लेखिका – अनु हमारे गांव के मुन्शी चाचा की बतकही बहोत मशहूर है, जिस दुआरी पर शाम में बैठ जाएंगे वहां हर उम्र का जमावड़ा हो ही जाएगा। रामायण, महाभारत आदि अनेक…
अविनाश पाण्डेय, वाराणसी राम तुम प्रसंग से परे नहीं हुए कभी अट्टहास रावणों के ध्वनित हो रहे अभी। देव, दानव, मनुज के अब रूप दिखते एक हैं भ्रमित, उद्वेलित व कुंठित नीतियों…
डॉ नमिता राकेश उपनिदेशक, भारत सरकार, वरिष्ठ साहित्यकार हे राम ! तुम तो पुरुषोत्तम हो जो तुम पर सवाल उठाएं वो उत्तम कैसे हो सकते हैं तुम्हारा नाम लेकर जब पत्थर तैर…
वीथिका ई पत्रिका का जनवरी विशेषांक ” श्री राम ” आपके समक्ष प्रस्तुत करते हुये हमें अपार हर्ष हो रहा है पत्रिका आप इस लिंक से मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं :
भाग-2 कहानीकार – नीरजा हेमेन्द्र नीरजा हेमेन्द्र जी ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ साहित्यकार हैं, आपके तीन उपन्यास “ललई भाई”, “अपने-अपने इन्द्रधनुष” और “उन्ही रास्तों से गुज़रते हुए” तथा सात कहानी संग्रह और चार कविता…