डॉ. दिलीप शर्मा, प्राक्तन उप प्राचार्य, नगाँव कालेज नगाँव : असम अज्ञेय मूलतः एक लेखक हैं, दार्शनिक नहीं, समस्याएं चाहें एक सी हों कवि के चिंतन के औजार, सोचने का ढंग, विचारों…
प्रो. विवेक कुमार मिश्र प्रोफेसर – हिंदी विभाग राजकीय कला महाविद्यालय कोटा आओ बैठेंइसी ढाल की हरी घास पर।माली-चौकीदारों का यह समय नहीं है,और घास तो अधुनातन मानव-मन की भावना की तरहसदा…
विमलेश कुमार मिश्र आचार्य,हिन्दी विभाग दी.द.उ. गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर अज्ञेय तो अनेक हैं, मैं किस अज्ञेय की बात करूँ। क्या हिन्दी की कोई ऐसी परम्परा है, जिससे अज्ञेय जुड़ते हैं। हिन्दी में…
डॉ नमिता राकेश वरिष्ठ साहित्यकार एवं उपनिदेशक, गृह मंत्रालय “पहाड़ नहीं कांपता, न पेड़, न तराई, कांपती है ढाल पर के घर से नीचे झील पर झरी दिए की लौ की नन्हीं…
रश्मि धारिणी धरित्री पर्यावरणविद, साहित्यकार, उत्तराखंड सुधिजनों को धारिणी का सादर प्रणाम बसंत का आगमन और मौसम में फाल्गुनी रंगों का घुलना और नवजीवन की सुगंध और साथ ही महाशिवरात्रि का आगमन…
सुमित उपाध्याय प्रबंध संपादक, वीथिका ई पत्रिका 21 फ़रवरी, 1897 को जन्मे हिंदी के महाप्राण कवि निराला की दो लम्बी कवितायेँ, सरोज स्मृति और राम की शक्ति पूजा छायावाद की दो सशक्त…
शायरा बानों प्रवक्ता, जैश किसान इन्टर कॉलेज, बनगावां, घोसी, मऊ आशुतोष और शबनम एक प्रेमी युगल हैं जिनके बीच बातचीत के दौरान कुछ बातों को लेकर नाराजगी चल रही थी,दोनों गुस्से में…