आनंद कुमार सच में कितना प्यारा था मेरे नानी का घर… चापा कल से, पानी का भरना नदी में जाकर, छप्प-छप्प नहाना बगीचे में जाकर, शरीफा को खाना, आम के पेड़ पर,…
डॉ धनञ्जय शर्मा, लेखक व असिस्टेंट प्रोफेसर, हिंदी विभाग सर्वोदय पोस्ट ग्रेजुएट महाविद्यालय, घोसी, मऊ बलिया जिले के बिल्थरारोड स्टेशन से दो मील पश्चिम बसा गाँव ससना अपनी प्राचीनता को लेकर उतना…
अभिदीप सुहाने, युवा रंगकर्मी छतरपुर ( म.प्र.) लोक एक बहू अर्थी शब्द है जो कि मूलतः संस्कृत का है। विश्व का कोई भी विशेष भाग, प्रजा/लोग आदि इसी शब्द के पर्याय या…
डॉ अपर्णा पाण्डेय, प्रवक्ता, हिंदी स्व. कुबेर सिंह स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मिर्ज़ापुर गाँव को यदि लोक संस्कृति का मूर्त स्वरुप कहें तो अत्युक्ति न होगी । गाँव का आदमी निरक्षर भले हो लेकिन…
दयाशंकर तिवारी, मऊ, उत्तरप्रदेश (लेखक वरिष्ठ साहित्यकार हैं, लोक साहित्य में आपके 4 काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं) भारतीय संस्कृति में लोक जीवन और लोक साहित्य का चोली-दामन का साथ…
डॉ शिवमूरत यादव, Post Doctoral Research Fellow University of Oklahoma, Health Sciences Center, USA नवजात शिशु से शुरूआत करें तो हम सभी एक ही हैं, जैसे-जैसे व्यक्ति बड़ा होता जाता है हर…
अर्चना उपाध्याय, प्रधान संपादक भारत मूलतः गाँवों का देश है, जिसकी अस्सी से नब्बे प्रतिशत तक की जनता गाँवों में रहती थी लेकिन बाद के समय में जैसे-जैसे आधुनिकता बढ़ी गाँवों से…
बृजेश गिरि, प्रवक्ता, जैश किसान इन्टर कॉलेज, घोसी, मऊ हमारे समाज में प्राचीन काल से लोक गीतों की परम्परा है । पहले हमारे यहाँ मनोरंजन के साधन या आनंददायक और श्रम के…