लेखिका – अनु हमारे गांव के मुन्शी चाचा की बतकही बहोत मशहूर है, जिस दुआरी पर शाम में बैठ जाएंगे वहां हर उम्र का जमावड़ा हो ही जाएगा। रामायण, महाभारत आदि अनेक…
व्यंग्यकार श्री दिलीप कुमार जी मठ आबाद रहे मठाधीश आबाद रहे मठाधीशी जिंदाबाद प्रश्न – हिंदी साहित्य के वर्तमान परिवेश में मठ और मठाधीशों की क्या स्थिति है ? उत्तर- हिंदी साहित्य…
व्यंग्यकार विनय प्रताप जी मेरी पत्नी ने मुझे सवेरे-सवेरे एक बहुत बड़ी बहस में उलझा दिया। मैं बैठा हुआ टी.वी. पर समाचार देख रहा था तभी उन्होंने सुरंगों के सम्बन्ध में अपनी…
लेखिका – रश्मि धारिणी धरित्री सम्मानित सुधि जनों के सानिध्य में आज कुछ धरती, प्रकृति और पर्यावरण को याद करने की कोशिश कर रही हूँ थोड़ा हास परिहास के साथ शिव जी…
प्रो. मोहम्मद ज़ियाउल्लाह, विभागाध्यक्ष, इतिहास विभाग डीसीएसके पीजी कॉलेज , मऊ गुस्से से नथुना फुलाते हुए एंडी-पंजों पर उचक-उचक कर राय साहब भाई जगीरा से यह फरमा रहे थे। भाई! कैसा कलयुग…
प्रो. मोहम्मद ज़ियाउल्लाह, विभागाध्यक्ष, इतिहास विभाग डीसीएसके पीजी कॉलेज , मऊ हिन्दी एक महान भाषा है। सैकड़ों साल पुरानी और भारत की निशानी है। गर्व की बात यह है कि बिना किसी…
व्यंग्यकार- चुनमुन जी हमारे ननिहाल में एक थे हरखू भैया, बेचारे भोले -भाले हरखू और कड़कदार मिर्ची की तरह तीखी उनकी घरवाली । हरखू भाई के समधी आने वाले थे तो खुब…