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  • “वीथिका ई पत्रिका : पर्यावरण विशेषांक”जून, 2024”
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उत्तराखंड में वनाग्नि और जलवायु परिवर्तन: एक गंभीर चुनौती

Posted on June 17, 2024

प्रियंका ठाकुर                                                                                          वानिकी  स्नातकोत्तर (वन जीव विज्ञान एवं वृक्ष सुधार विभाग) वानिकी महाविद्यालय, रानीचौरी, टिहरी गढ़वाल , उत्तराखंड उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है, अपने सुंदर…

रमेश गौतम के नवगीतों में नदी

Posted on June 17, 2024

डॉ.नितिन सेठी सी-231, शाहदाना कालोनी, बरेली (243005) रमेश गौतम प्रख्यात नवगीतकार हैं। उनके नवगीतों में प्रकृति के अनेक सुंदर चित्रण मिलते हैं। पर्वत, सागर, पंछी, हवा, नदी; सभी अपने-अपने मुखरित सौन्दर्य की…

ताज़े पानी की झील–करेरी झील

Posted on June 17, 2024

डॉक्टर जय महलवाल(अनजान) राजकीय महाविद्यालय बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा में उत्तर पश्चिम धौलाधार के दक्षिण में 3110मीटर ऊंचाई पर स्थित  करेरी झील एक ताज़े पानी की झील है।…

कविता – आओ पेड़ लगाए हम

Posted on June 17, 2024

©आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका) ग्वालियर मध्य प्रदेश आओ पेड़ लगाए हम धरा पुकार रही है तुमको नित्य उजड़ रहे है उपवन, तापमान में हो रही है वृद्धि निरंतर कटते वृक्षों के…

सुनो धरा की करुण पुकार

Posted on June 17, 2024

रंजना बिनानी काव्या  गोलाघाट असम सुनो धरा की करुण पुकार हरी-भरी ये ,शस्य श्यामला धरा हमारी, आओ करें.. हम इसका श्रृंगार..। मत करो ..प्रदूषित इसको, सुनो धरा की, करुण पुकार। अन्न ,फल,…

कविता – पर्यावरण संरक्षण

Posted on June 17, 2024

मीता लुनिवाल “मीत” जयपुर, राजस्थान आओ हम ये संकल्प करें पर्यावरण को नष्ट होने से बचाएगे जगह जगह हम पेड़ लगाए नये नये पेडो से धरती को सजाएगे देकर नवजीवन इस प्रकृति…

कविता – रेणु सिंह राधे

Posted on June 17, 2024

बहुत दिन हो गए थे उगता सूरज देखे आज देखा तो महसूस हुआ एक जरा सी नींद के लिए मेंने जानें क्या क्या ही खोया ….. लाल मद्धम रोशनी में नहाया साफ…

पेड़ मत काटो

Posted on June 17, 2024

नमिता राकेश. देखो भाई ! पेड़ मत काटो काटना है तो उन दरिंदों के सर काटो जो रात दिन  मासूम लोगों का  खून बहाते हैं  पेड़ काटने से तुम्हें क्या मिलेगा किसका…

गीत- नहीं तुम वृक्ष काटना

Posted on June 17, 2024

कवियित्री- प्रीति चौधरी”मनोरमा” मनुज नहीं तुम वृक्ष काटना,  ये ही देते हैं छाया।  हरी भरी है इनसे धरती, ये जीवों का सरमाया ।। नीड़ बनाते इन पर पक्षी,  ये ही तो उनका…

“वीथिका ई पत्रिका : पर्यावरण विशेषांक”जून, 2024

Posted on June 6, 2024

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