डॉ सुधांशु लाल यूं तो चाँद हमेशा से मनुष्य के लिए कौतूहल का विषय रहा है, हमारी कहानियों, किस्सों और कविताओं मे चाँद को मामा से ले कर प्रेमी, प्रेयसी तक कह…
सुमित उपाध्याय लेखन की रचना प्रक्रिया सदैव अपनी ओर आलोचकों, समीक्षकों का ही नहीं अपितु पाठकों का भी ध्यान आकर्षित करती रही है । किसी व्यक्ति के सामने ऐसी कौन सी परिस्थितियां…
व्यंग्यकार विनय प्रताप जी मेरी पत्नी ने मुझे सवेरे-सवेरे एक बहुत बड़ी बहस में उलझा दिया। मैं बैठा हुआ टी.वी. पर समाचार देख रहा था तभी उन्होंने सुरंगों के सम्बन्ध में अपनी…
डॉ अनूपा कुमारी सत्य – असत्य के बीच उधेड़-बुन में उलझा मानव कभी दिल तो कभी दिमाग से बहुत कुछ सोचता है सोचता ही रहता है किन्तु परिणाम तक नहीं पहुंच पाता…
प्रतिमा सिंह, मऊ हां मैं बोल जाती हूं ज्यादा कभी-कभी, क्योंकि मैं खुद को संभालना नहीं जानती। हां मैं कर जाती हूं नादानियां कभी-कभी क्योंकि मैं समझना नहीं जानती। हां मैं बन…
लेखिका : ज्योत्सना प्रवाह वरिष्ठ साहित्यकार, वाराणसी यह कहानी है एक औरत की… जिसमें वही चेतना बसती थी जो आम औरतों में होती है बस, उसकी किस्मत अलग थी उसका नाम था…
प्रसिद्ध रंगमंच निर्देशिका चित्रा मोहन जी का भारतेंदु बाबू को समर्पित मौलिक नाटक “हम याद बहुत आएंगे“ आदरणीया चित्रा मोहन जी प्रख्यात व वरिष्ठ रंगमंच निर्देशिका व प्रवक्ता हैं । आप भारतेंदु…