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पर्व विशेष : कविता

Posted on July 17, 2024

अंकुर सिंह

हरदासीपुर, चंदवक

जौनपुर, उ. प्र

भारत पर्वो-त्योहारों का देश है…तपती गर्मी के बाद जब मानसून आता है तो मन झूम उठता है, एक कृषि प्रधान समाज इसी भींगती बारिश के साथ अपने आनंदोत्सवों की शुरुआत करता है, और शुरू होती है महान भारतीय संस्कृति की पर्व-श्रृंखला. आगामी माह में पड़ने वाले प्रमुख पर्व त्योहारों (जैसे- राखी, पंद्रह अगस्त, जन्माष्टमी, शिक्षक दिवस, हिंदी दिवस, विश्वकर्मा पूजा, गणेश चतुर्दशी, और सावन माह) पर युवा साहित्यकार व पर्यावरण चिंतक अंकुर सिंह जी द्वारा रचित कवितायेँ प्रस्तुत हैं :

राखी भेजवा देना

बहन, राखी भेजवा देना,अबकी मैं ना आ पाऊंगा।

काम बहुत हैं ऑफिस में,मैं छुट्टी ना ले पाऊंगा।।

कलाई सुनी ना रहें मेरी,तुम याद ये रख लेना।

अपने भाई के पते पर,राखी तुम भेजवा देना।।

ये महंगाई है सबपे भारी, फिर भी राखी भेजवाना।

गर पूछे भांजी भांजा तो, उन्हें मामा का प्यार कहना।।

राखी पर ना मेरे आने से, तुम मुझसे ना रूठ जाना।

हाथ जोड़ कर रहा निवेदन, राखी जरूर भेजवा देना।

भेज रहा राखी उपहार संग, चिट्ठी में प्यार के दो बोल।

माफ करना अपने भाई को, मना न सका पर्व अनमोल।।

राह देख अबकी तुम मेरी, राखी थाली सजा ना लेना।

मेरे छुट्टी का है बड़ा झंझट,भेज राखी तुम फर्ज निभाना।

पंद्रह अगस्त

पंद्रह अगस्त सैंतालीस को, दिवस कैलेंडर था शुक्रवार।

मिली हमें आजादी इस दिन, खुला अपने सपनों का द्वार।।

आजादी के साथ देश ने बंटवारे का दर्द भी झेला।

आजादी खातिर गोरों ने खून की होली हमसे खेला।

आजादी की चाहत दिल में सत्तावन में दहक उठी थी।

कोलकत्ता के बैरकपुर में मंगल की गोली बोली थी।।

उन्नीस सौ सैंतालीस के पहले अपनी भी बड़ी लाचारी थी।

ब्रिटिश सरकार जुल्म ढहाती फिरंगी सरकार दुष्टाचारी थी।।

सत्ताइस फरवरी इकतीस को आजाद ने खुदपर पिस्टल ताना।

पच्चीस साल का नव-युवक आजादी का था दीवाना ।।

उन्नीस सौ उन्तीस में पूर्ण स्वराज्य की मांग किया।

अगस्त बयालीस में गांधी ने भारत-छोड़ो’ का एलान किया।

कई शहादत के बाद हमने आज तिरंगा लहराया।

नमन वीरों के कुर्बानी पर जिससे देश आजादी पाया।

जन्माष्टमी

भादो मास के अष्टमी,कृष्ण लिए अवतार।

पुत्र मैया देवकी का,बना सबका तारणहार।।

मथुरा के कारागार में जन्मे,बाल-लीला किए गोकुल में।

यमुना किनारे खेले-खाले,शिक्षा लिए गुरुकुल में।।

गोकुल में चोरी – चोरी,माखन चुरा खूब खाते थे।

मित्र-मंडली और यारो संग,कृष्ण गईया चराने जाते थे।।

हाथो में होती इनके मुरली,मुकुट की शोभा बढ़ाता मोर।

यशोदा मैया का ये लाडला,कहलाता आज भी माखन चोर।।

हे केशव, हे माधव, सुनो हे गोपाल,इस जीवन में पीड़ा मुझे है अपरम्पार ।

मुरली वाले प्रभु, मुरली बजाकर ,कर दो मेरी नैया को तुम पार।।

आज पर्व है प्रभु जमाष्टमी का,कर दो मुझपर इतना उपकार।

हर पल, हर क्षण हम भक्ति करे,और तुम करो मेरे जीवन का उद्धार।।

शिक्षक

प्रणाम उस मानुष तन को,शिक्षा जिससे हमने पाया।

माता पिता के बाद हमपर,उनकी है प्रेम मधुर छाया।।

नमन करता उन गुरुवर को,शिक्षा दें मुझे सफल बनाए।।

अच्छे बुरे का फर्क बता,उन्नति का सफल राह दिखाए।।

शिक्षक अध्यापक गुरु जैसें,नाम अनेकों मानुष तन के,

कभी भय, कभी प्यार जता,हमें जीवन की राह दिखाते।।

कभी भय, कभी फटकार कर,कुम्हार भांति रोज़ पकाते।

लगन और अथक मेहनत से,शिक्षक हमें सर्वश्रेष्ठ बनाते।

कहलाते है शिक्षक जग में,ब्रह्मा, विष्णु, महेश से महान।

मिली शिक्षक से शिक्षा हमें जग में दिलाती खूब सम्मान।।

शिक्षा बिना तो मानव जीवन दुर्गम, पीड़ित और बेकार।

गुरुवर ने हमें शिक्षा देकर हमपर कर दी बहुत उपकार।।

अपने शिष्य को सफल देख प्रफुल्लित होता शिक्षक मन।

अपने गुणिजन गुरुवर को मैं, अर्पित करता श्रद्धा सुमन।।

शिव वंदना

जय हो देवों के देव,

प्रणाम तुम्हे है महादेव।

हाथ में डमरू, कंठ भुजंगा,

प्रणाम तुम्हे शिव पार्वती संगा।।

बोलो जय जय देवाधिदेव ,

प्रणाम तुम्हें है महादेव ।।

हे कैलासी , हे सन्यासी,

शिव को सबसे प्यारी काशी।

हे नीलकंठ !, हे महादेव !

रक्षा करो मेरी देवाधिदेव।।

शिव का अर्थ है मंगलकारी,

शिव पूजन है सब दुखहारी।।

हे जटाधारी ! शिव, दुष्टों का

ना देर करो , संहार करो ,

प्रसन्न होकर मम भक्ति से

मेरा जल्दी उद्धार करो।।

बोलो जय जय देवाधिदेव ,

प्रणाम तुम्हें है महादेव ।।

नंदी, भृंगी , टुंडी, श्रृंगी, संग,

नन्दिकेश्वर,भूतनाथ शिवगण।

भांग, धतूरा , पंचामृत संग,

शिव को पूजे सब भक्तगण।।

बोलो जय जय देवाधिदेव ,

प्रणाम तुम्हे है महादेव ।।

सोमनाथ संग बारह धाम,

शिव पूजन से बनते काम।

आओ भक्तों करें प्रणाम,

शिव भक्ति से बनेंगे काम।।

बोलो जय जय देवाधिदेव।

प्रणाम तुम्हे है महादेव ।।

हे भोले नाथ !, हे शिव शंकर !,

शक्ति संग कहलाते अर्धनारीश्वर!

हे अमृतेश्वर !, हे महाकालेश्वर,

दुःख हरो हमारी सब परमेश्वर।।

बोलो जय जय देवाधिदेव ,

प्रणाम तुम्हे है महादेव ।।

हिंदी बने राष्ट्र भाषा

हमारा हो निज भाषा पर अधिकार,

प्रयोग हिंदी का, करें इसका विस्तार।

निज भाषा निज उन्नति का कारक,

निज भाषा से मिटे सभी का अंधकार।।

हिंदी है हिंदुस्तान की रानी,

हो रही अब सभी से बेगानी।

अन्य भाषा संग, हिंदी अपनाओ,

ताकि हिंदी संग ना हो बेमानी।।

माथे की शोभा बढ़ाती बिंदी,

निज भाषा जान हैं हिन्दी।

आओ मिल इसका करें विस्तार,

ताकि गर्व हमपर नई आबादी।।

हिंदी हम सब की हैं मातृ-भाषा,

छोड़ इसे ना करो तुम निराशा।

हिंदी बोलने में तुम मत शरमाओं,

ताकि हिंदी बने हमारी राष्ट्र भाषा।।

हिंदी हैं अपनी राजभाषा,

बनाना इसे अब राष्ट्रभाषा।

आओ निज भाषा से प्यार करें

ताकि हिंदी को ना मिले निराशा।।

महात्मा गांधी जी कहते थे,

हिंदी है जनमानस की भाषा ।

कहा उन्नीस सौं अठारह में बापू ने,

सब बनाओ हिंदी को राष्ट्र भाषा।।

पहली अंग्रेजी, फिर चीनी,

ज्यादा बोले जाने वाली है भाषा।

हर कार्य में हिंदी को अपनाकर,

बनाए इसको हम पहली भाषा।

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