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कविता – पृथ्वी 

Posted on July 16, 2024

डा. राजेश तिवारी ‘मक्खन’

झांसी उ प्र

धरती मेरी माँ है इसको स्वस्थ और स्वच्छ बनायें ।

आओ इसकी रक्षा और सुरक्षा का दायित्व उठायें ।।

अवैध और अनैतिकता से इसका खनन जो करते ।

सोचो इसको दिये घाव जो  कहो वो  कैसे भरते ।।

इनको हरी भरी रखना है ये रोमावली है वृक्ष लतायें ।

मृदा प्रदूषति न करना, यह जनता को समझा दो ।

पन्नी, पोलीथीन आदि को अब ही आग लगा दो । ।

गोमय खाद गौमूत्र आदि से इसे आओ उर्वरक बनाये ।

धरती मां हम सब सपूत हैं इसका ध्यान भी धरना ।

इसकी रक्षा और स्वाभिमान हित जीना है व मरना ।।

मातृ भूमि को नमन करें हम सब श्रद्धा शीश झुकाये ।

भूदेवी और श्री देवी को नमन सभी करते हैं लोग ।

अक्षत चन्दन पुष्प दीप से अर्चन करें लगाते भोग ।।

आओ अपनी मातृभूमि पर श्रद्धा से सुमन चढाये ।

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