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कविता – रेणु सिंह राधे

Posted on June 17, 2024

बहुत दिन हो गए थे उगता सूरज देखे

आज देखा तो महसूस हुआ

एक जरा सी नींद के लिए मेंने

जानें क्या क्या ही खोया …..

लाल मद्धम रोशनी में नहाया

साफ सुथरा बेदाग आसमान

जीवन दान देने को आतुर

ठंडी ठंडी रेशमी सी हवाएं…..

अपने सुर ताल पर नाचते

पंछियों की दिल कश अदाएं

अपने सुनहरे भविष्य को देखते

सवारते सजग नौजवान, बच्चे….

उन सब में थोड़ी फुर्सत पा

अपने निकल आए पेट को

कम करने की जद्दोजहद

करती कुछ मेरी जैसी ग्रहणी…..

कितना कुछ पा सकते हो

सूरज के साथ उठ कर देखो

भागदौड़ भरे पूरे दिन में से

कुछ लम्हें अपने लिए जी कर देखो……

1 thought on “कविता – रेणु सिंह राधे”

  1. Mukesh Duhan says:
    June 17, 2024 at 7:01 am

    बहुत सुंदर जी

    Reply

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