विजयवीर सहाय
सन् 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी को 9 अगस्त 1942 से 6 मई 1944 तक पुणे में कल्याणी नगर स्थित विश्व प्रसिद्ध आगा खां महल के कमरों में नज़रबंद करके रखा था। उनके साथ ही उनकी धर्म पत्नी कस्तूरबा तथा सचिव महादेव भाई देसाई भी नज़रबंद थे। यहीं पर पहले महादेव भाई और 22 फरवरी 1944 को महाशिवरात्रि के दिन गंभीर रूप से बीमार कस्तूरबा का निधन हो गया और उनकी समाधियां परिसर में ही एक स्थल पर बनाई गईं। यह तो सभी जानते हैं कि महात्मा गांधी की समाधि राजघाट, दिल्ली में है लेकिन यह कम ही लोग जानते होंगे कि पुणे के आगा खां महल परिसर में समाधि स्थल पर भी उनके भस्मावशेष की एक समाधि उनकी धर्मपत्नी कस्तूरबा की समाधि के निकट ही बनाई गई है।
महात्मा गांधी के ऐतिहासिक स्मारक के रूप में तब्दील इस महल में आने वाले दर्शानार्थी समाधि स्थल पर भी जाकर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। महल का परिसर कई एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और प्रवेश द्वार से महल तथा समाधि स्थल तक जाने के लिए बनी डामर की सड़कों के दोनों तरफ़ पेड़-पौधे और घास के हरे भरे उद्यान भी हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, मुंबई मंडल, मुंबई द्वारा महल के बाहर लगाये गये शिलापट के अनुसार, आग़ा खां महल का निर्माण ईसवी सन् 1892 में तृतीय आग़ा खां, सुल्तान मोहम्म्द शाह आग़ा खां ने करवाया था। वह खोजा इस्माइली सम्प्रदाय के 48वें गुरु थे। इसका निर्माण उन्होंने आसपास के सूखा प्रभावित गांव वासियों को रोज़गार देने के लिए करवाया। निर्माण कार्य 5 साल में पूरा हुआ जिसमें करीब 12 लाख रुपये खर्च हुए और एक हज़ार लोगों को भरपूर रोज़गार मिला। सन् 1969 ई. में प्रिंस करीम शाह अल् हुसेनिम चतुर्थ आग़ा खां भारत आये और उन्होंने यह महल और उसके आसपास की ज़मीन को गांधी जी और उनके दर्शन के यादगार स्मारक के रूप में भारत सरकार के गांधी स्मारक निधि को दान कर दिया। अब यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और गांधी जी के जीवन से जुड़ा एक असाधारण राष्ट्रीय स्मारक है।
आग़ा खां महल को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा गजट में नोटिफ़िकेशन सं. एस.ओ. 255 ई दिनांक 3-3-2003 के अंतर्गत राष्ट्रीय महत्व के स्मारक के रूप में संरक्षित किया गया।
महल के बड़े-बड़े कक्षों में गांधी जी द्वारा इस्तेमाल की गई कुछ वस्तुओं-जैसे बर्तन, चप्पल, कपड़े, माला तथा कस्तूरबा के अंतिम संस्कार के सम्बन्ध में तत्कालीन सरकार को लिखे उनके पत्र आदि का भी संग्रह है। संग्र्रहालय में गांधी जी के जीवन की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं से संबंधित फोटो, मूर्तियां आदि संग्रहीत हैं। महल के उस कमरे में जहां नज़रबंदी के दौरान कस्तूरबा ने अंतिम सांस ली, गांधी जी व कस्तूरबा की तमाम फोटो और मूर्तियां हैं। उनसे संबंधित महत्वपूर्ण विवरण और जानकारियां भी बड़े-बड़े पटों पर लिखी हुई हैं। महल परिसर में ही पुस्तकों, खादी के वस्त्रों और हस्त निर्मित कलात्मक वस्तुओं आदि की प्रदर्शनी भी देखने को मिलती है।