साहित्य जगत में महिला साहित्यकार एवं सुविख्यात कवयित्री नमिता रोकश का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है। बहुमुखी प्रतिभा की धनी नमिता राकेश की सरकारी नौकरी में एक राजपत्रित अधिकारी के रूप में हिंदी के संवर्धन के लिए उपलब्धियां तो उनकी प्रशासनिक दक्षता को साबित करती हैं, वहीं उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में कवयित्री, गजलकारा, गीतकार, निबंधकार, लेखिका और साहित्यकार के रुप में सामाजिक सरोकारों के मुद्दों में समाज, नारी, विडम्बनाएं, शोषक और शोषित, विसंगतियां, मानवीय रिश्तों जैसी समस्याओं के फोकस में अपने रचना संसार को विस्तार देते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी लोकप्रियता हासिल की है।
यही नहीं हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, उर्दू तथा संस्कृत आदि भाषा की ज्ञाता श्रीमती राकेश ने साहित्य साधना के अलावा जहां टीवी सीरियलों, लघु फिल्मों और हिंदी पंजाबी नाटकों में एक अभिनेत्री की भूमिका निभाकर अपनी कला के हुनर का प्रदर्शन किया, वहीं वे टेबल टेनिस जैसे खेल में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुकी हैं। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में उपनिदेशक(राजभाषा) रही प्रख्यात महिला रचनाकार नमिता राकेश ने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत के दौरान प्रशासनिक, साहित्यिक, अभिनय जैसे क्षेत्र के सफर को लेकर कई ऐसे अनछुए पहलुओं को भी उजागर किया है, जिससे साबित होता है कि वे हर क्षेत्र में समाज के सामने एक सकारात्मक विचारधारा को नई दिशा देने में जुटी हैं।
आपका जन्म 09 मार्च को उत्तर प्रदेश के बरेली में एक शिक्षित परिवार में हुआ। उनकी माता श्रीमती शैलबाला उस जमाने में अंग्रेजी विषय से स्नातकोत्तर थी, जब महिलाओं की शिक्षा के बारे में कोई इतना गंभीर नहीं था। वह कविताएं और लेखन करने में एक बहुत ही विदुषी महिला थी, जो बेटी नमिता के लिए भाषण और वाद-विवाद लिखकर उसे हमेशा मंचों के लिए प्रोत्साहित करती थीं। परिवार में एक अच्छा साहित्यिक माहौल होने से नमिता जी को साहित्य विरासत में मिला। यही कारण था कि नमिता जी ने स्कूली शिक्षा के दौरान ही मंचों पर वाद विवाद और भाषणों व अन्य कार्यक्रमों में हमेशा प्रथम स्थान हासिल किया। आपके पिताजी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में अधिकारी थे और उनकी पोस्टिंग अलग राज्यों में रही। यही कारण है कि उनकी अपनी शिक्षा दिल्ली, पंजाब और हरियाणा जैसे विभिन्न राज्यों में पूरी हुई। स्कूली शिक्षा करनाल में हुई। जब पिता की पोस्टिंग पटियाला में हुई तो वह कक्षा सात में थी और पंजाब में पंजाबी विषय अनिवार्य होने के कारण उसे पंजाबी भाषा का ज्ञान हुआ। एमएलएन कॉलेज से बी.ए. और उनकी अंग्रेजी और इतिहास विषय में स्नातकोत्तर की शिक्षा हुई। जबकि भारतीय विद्या मंदिर से बीएड और भारतीय विद्या भवन से जर्नलिज्म किया।
नमिता जी स्कूल व कॉलेज के जमाने से वह विभागीय पत्रिकाओं में हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और पंजाबी का संपादन करती थी। स्कूल से कालेज तक वह कविताएं लिखने में इतनी परिपक्व हो गई कि उनकी कविताएं और कहानियां पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगी। उनकी कविताओं को मिले पहचान ने उनमें ऐसा आत्मविश्वास पैदा किया कि पत्र व पत्रिकाओं से कविताओं, कहानियों और लेखों की मांग आने लगी।
उनके लेखन की तारीफ में पत्र तक आने लगे तो उन्हें अच्छे लेखन के लिए इतना प्रोत्साहन मिला कि धीरे-धीरे ऑल इंडिया रेडियो, डीडी नेशनल और दूसरे राज्यों व शहरों के टीवी चैनल और रेडियों केंद्रों से काव्यपाठ के लिए उन्हें निमंत्रण मिलने लगे और वह टीवी चैनल और रेडियों केंद्रों पर काव्य पाठ के अलावा बतौर एंकर काम करने लगी। उन्हें आवाज के लिए ओडिशन में भी पास कर दिया गया। चूंकि वह अप्रैल 1988 से विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों व विभागों में एक राजपत्रित अधिकारी के रूप में सरकारी सेवा में थी। इसके बावजूद अपने जिम्मेदार पद व गरीमा के बीच रहते हुए साहित्यिक साधना में जुटी रही, जिसके लिए देश-विदेशों में भी उन्होंने मंचों पर काव्य पाठ किया।
सरकारी नौकरी में भी उन्हें समय से काम का निपटान के लिए मंत्रालयों व विभागों से अनेक प्रशस्ति पत्र और पुरस्कार मिले हैं। रेडियो व टीवी के अलावा देश-विदेश के मंचों पर आयोजित कवि सम्मेलनों व मुशायरों में कविताओं और गजलों तथा मंच संचालन को देश के वरिष्ठ और नामी गरामी साहित्यकारों का भी उन्हें हमेशा प्रोत्साहन मिला। पिछले करीब साढ़े तीन दशक से वह हरियाणा साहित्य अकादमी, हरियाणा उर्दू अकादमी, हरियाणा पंजाबी अकादमी के निमंत्रण पर काव्य पाठ कर रही हैं और सरकार व गैर सरकारी संस्थाओं के निमंत्रण पर भी वह देश के विभिन्न राज्यों में कविता पाठ करती आ रही है। इस साहित्यिक सफर में उसे समग्र लेखन व काव्य पाठ पर विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं से अनेकानेक प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान भी हासिल हुए।
पुस्तक प्रकाशन
साहित्य क्षेत्र में नमिता राकेश जी ने हिंदी और उर्दू के अलाव पंजाबी भाषा में करीब तीन दर्जन पुस्तकें लिखी है और तीनों भाषाओं की पुस्तकों को पुरस्कृत भी किया गया है। उनके लेखन में कविता, गीत, कहानियां, ग़ज़ल, लघु कथाएं, हाइकु, लेख, संस्मरण उनकी कृतियों का हिस्सा है। उनका लिखा एक उपन्यास विदेश में प्रकाशित हुआ है। उनकी समकालीन कवयित्रियां: लोकप्रिय कविताएं नामक पुस्तक सुर्खियों में हैं, जिसमें उन्होंने मुक्त छंद-छंद मुक्त कविताओं व गजलों के अलावा दोहा और गीत का समावेश भी किया है। नमिता राकेश के व्यक्तित्व और कृतित्व पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के छात्र संजय अद्याना द्वारा शोध कार्य भी किया है।
पुरस्कार व सम्मान
हरियाणा साहित्य अकादमी ने सुप्रसिद्ध कवयित्री नमिता राकेश को साल 2021 के लिए श्रेष्ठ महिला रचनाकार सम्मान से अलंकृत किया है। इनमें प्रमुख रुप से संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान, संसद का राष्ट्रीय शिखर सम्मान, राष्ट्रीय स्त्री शक्ति सम्मान, राष्ट्रीय सहित्य भूषण सम्मान, ग्लोबल लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड, वूमन अचीवर्स अवार्ड, शान-ए-हिंदुस्तान अवार्ड, केंद्रीय गृह मंत्री माननीय श्री राजनाथ सिह द्वारा ” महादेवी वर्मा सम्मान” 2015, लेखक सम्मान, उर्दू गजल किताब के लिए हरियाणा उर्दू अकादमी का पुस्तक सम्मान, हिंदी सेवी सम्मान, साहित्याराधन सम्मान, काव्य सुधा सम्मान, समाज गौरव सम्मान, राष्ट्र संत अकादमी महाराज राष्ट्रीय सम्मान, सुभद्रा कुमार चौहान सम्मान जैसे देश विदेश में मिले सैकड़ो पुरस्कार व सम्मान नमिता के नाम है। नेपाल में गजल विद्या के लिए उन्हें परिकल्पना ब्लॉगर सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। उन्होंने भारत सरकार की ओर से विश्व हिंदी सम्मेलन में मॉरिशस और सिंगापुर में भी भागीदारी की है। वहीं 34 साल की सरकारी सेवा में उन्हें सरकारी विभागों में अनेक प्रशस्ति पत्र मिले हैं। इनमें जहां सीआईएसएफ महानिदेशक का वह प्रशस्ति पत्र और सम्मान भी शामिल है, जिसमें उन्होंने सीआईएसएफ के स्वर्ण जयंती वर्ष में बनी यूट्यूब फिल्म की पटकथा लिखी और उनके शब्दोंको सुपर स्टार अमिताभ बच्चन ने अपनी आवाज़ दी। वहीं काव्यात्मक विज्ञापन के लिए आयकर महानिदेशक का प्रशस्ति पत्र और सीआईएसएफ के महानिदेशक का राजभाषा निरीक्षण के लिए दिया गया प्रशस्ति पत्र भी शामिल है। इसी प्रकार केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो से वह रजत पदक हासिल कर चुकी हैं। खेलकूद में उन्हें टेबल टेनिस में वह अनेक प्रतियोगिताओं में पदक व ट्राफी से भी सम्मानित किया जा चुका है।
नमिता राकेश को भोपाल में राष्ट्रीय शिखर सम्मान– निर्दलीय समाचार पत्र समूह सह प्रकाशन के स्वर्ण जयंती समारोह में वरिष्ठ पत्रकार श्री कैलाश आदमी जी, श्री खंडवेकर जी ने वरिष्ठ साहित्यकार, नमिता राकेश, उपनिदेशक, गृह मंत्रालय, भारत सरकार को अति विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया। इस अवसर पर विश्व विख्यात सुश्री मेधा पाटकर, प्रो. संजय द्विवेदी जी एवं अन्य मंचासीन विद्वत जन की उपस्थिति में नमिता राकेश जी को राष्ट्रीय शिक्षा गौरव शिखर सम्मान से विभूषित किया गया। देशभर से पधारे लगभग पचास साहित्यकारों को भी विभिन्न सम्मान प्रदान किये गए। दो दिन चले इस समारोह के अवसर पर भाषा,साहित्य, शब्दावली और प्रशासनिक विषयों पर नमिता राकेश के उद्बोधन को खासा पसंद किया गया।
Excellent and very impressive profile.It’s amazing to see how a Government officer on such a high position can do the justice with her official duties and at the same time can contribute so much to the literature of Hindi and Urdu.She is definitely a multidimensional genius.She is a great inspiration to new generation of youngsters.
I must thank you Mr Ved Prakash Tripathi ji for your wonderful comment about my profile published by the prestigious magazine Vithika.
I am inspired .
It all happened with the blessings of God and wishes of people like you.
May God give strength to me to write and do more n more like this.
गौहर ए अश्क़ को पलकों में पिरोना साईं,
मुझको आता नहीं दामन को भिगोना साईं,
प्यार से रिश्तों की तामीर किया करती हूँ,
मेरे शब्दों में ना जादू है ना टोना साईं
—नमिता राकेश