विश्रांत लाल की कलम से
मैं विश्रांत लाल, हम लोग अपने स्कूल की ओर से चंडीगढ़ और शिमला घूमने गए । हमारी यात्रा 2 जुलाई को रात 10 बजे ट्रेन से शुरु हुई । अगले दिन सुबह 11 बजे हम चंडीगढ़ पंहुचे। उसके बाद हम लोग होटल गए फिर दोपहर का भोजन कर 3 बजे हम रॉक गार्डन और सुकना झील देखने गए, रॉक गार्डन में हमें बहुत अधिक गर्मी का सामना करना पड़ा । रॉक गार्डन में एक म्यूजीयम भी था जिसमें पुराने कपड़ों का इस्तेमाल कर एक पूरे गांव का दृश्य बनाया गया है, वहां पर हमने बहुत सी फोटो खिंचाई, और फिर हम लोग सुकना झील देखने गए । सुकना झील का दृश्य भी बहुत सुंदर था। वहां पर बोटिंग सी सुविधा भी थी । फिर हम लोग चंडीगढ़ की सेक्टर 22 की मार्केट घूमने गए, काफी बड़ी मार्केट थी जो कि दिल्ली की सरोजनी नगर मार्केट की याद दिला रही थी। उसके बाद हम वापस होटल गए और रात का भोजन किया । अगले दिन सुबह का नाश्ता कर के हम लोग शिमला के लिए बस से निकल गए ।
शिमला जाते समय रास्ते मे जो बड़े-बड़े पहाड़ देखने को मिल रहे थे उनको देख कर बहुत ही आश्चर्य का अनुभव हो रहा थे जैसे ही कोई बड़ा पहाड़ दिखता तो सब लोग अपना फोन निकाल कर फोटो और वीडियो बनाने लगते थे, मेरे लिए तो यह सब पहली बार था बड़े-बड़े पहाड़ और उन पर छोटे-छोटे लाल रंग के घर देख कर सभी लोग बहुत खुश हो रहे थे, शायद सभी के लिए यह दृश्य पहली बार हो। जैसे-जैसे हम लोग पहाड़ पर ऊपर की ओर चलते जा रहे थे मेरे कान में कुछ अजीब सा लग रहा था, जो कि वायु दाब कम होने का असर था पहले तो लगा कि केवल मुझे ही ऐसा लग रहा है जिससे मुझे थोड़ी सी घबराहट हो रही थी ऐसा लग रहा था कि मेरी तबियत बिगड़ रही है लेकिन कुछ समय बाद बाकी लोगों से पूछा तो उनको भी वैसा ही लग रहा था । काफी समय चलाने के बाद हम एक स्थान पर पहुंचे जहां से हमारा शिमला का होटल क़ुछ ही दूरी पर था लेकिन वहां पर बड़ी बस नही जा सकती थी इसलिए हम लोग वहां उतर कर एक छोटी बस के द्वारा होटल तक गए ।
होटल पहुचते-पहुचते काफी शाम हो गयी थी । जब हम लोग होटल पहुंचे तो बड़ा आश्चर्य हुआ, वहां के सभी होटल में लोग टॉप फ्लोर से एंट्री करते है और सभी घर भी इसी प्रकार से बने होते है कि आप ऊपर के तल से प्रवेश कर नीचे ग्राउंड फ्लोर तक जाए, एक और खास बात है शिमला के घरों और होटल की की गाड़ियों की पार्किंग घरों की छत पर होती है। जैसे ही हम लोग पंहुचे तो तुरंत ही हमने कुछ भोजन किया और 1 घंटे आराम करने के बाद हम लोग माल रोड और झांकी मंदिर के लिए निकल गए । माल रोड हमारे होटल से 3 km दूर थी सो हैम लोग पैदल ही गए। माल रोड को देख कर लगता है कि हम लोग किसी यूरोप के देश मे गए हों क्यूंकि वहां की इमारतें अंग्रेजो के समय की बनी हुई है।
माल रोड पर एक चर्च है और उसके पास ही एक लक्कड़ मार्केट भी है यहां पर ठंड के मौसम में आने पर बर्फ भी दिखती है लेकिन जब हम लोग गए थे तो ऐसा कुछ भी नही था । चर्च देखने के बाद हम लोग झांकी मंदिर के लिए निकले लेकिन मंदिर के रास्ते की चढ़ाई बहुत खड़ी चढ़ान है जो कि मै नही चढ़ पाया और आधे रास्ते से मुझे वापस आना पड़ा। फिर हम कुछ देर लकड मार्केट घूमे और देर रात 10 बजे हम लोग होटल वापस आ गये। रात का भोजन किया और सो गये ।
अगले दिन हम लोग कुफरी घूमने गए । जैसे ही हम कुफरी पहुचे तो वहां का मौसम शिमला से काफी अलग था वहां काफी ठंड थी मैं तो साथ मे जैकेट लेके गया था लेकिन बाकी लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा क्योंकि वहां का मौसम काफी ठंडा था। कुफरी हिल पर जाने के लिए हम लोग को घोड़े पर बैठ कर ही जाना पड़ा क्योंकि उस रास्ते पर काफी कींचड़ होता है जिस पर पैदल नही चला जा सकता है ।
कुफरी हिल जाने के और भी रास्ते हैं जो नए लोगों को नही पता होता है, जैसे ही हम कुफरी हिल पर पहुंचे तो कुछ ही देर बाद वहां पर बहुत तेज बारिश होने लगी जो कि 3 घंटों तक होती रही । कुफरी में कुछ देर इन्जॉय करने के बाद हम लो फिर से घोड़े पर बैठ कर वापस आ गये। वहां के लोग काफी समझदार और ट्रेंड होते है जो की टूरिस्ट को कुफरी हिल से नीचे लेते जाते है और ऊपर भी चढ़ा देते हैं, बस यात्री को घोड़े पर बैठना है और घोडा अपने आप गंतव्य तक पहुंच देगा । उसके बाद हम लोग शाम को वापस होटल गए और रात का भोजन कर सो गये ।
अगले दिन हम लोग शिमला से चंडीगढ़ के लिए निकल गए, जब हम लोग वापस जा रहे थे तभी शिमला का मौसम खराब होना शुरू हो गया, रास्ते मे खूब बारिश हुई और कई जगह लैंडस्लाइड भी हुई थी लेकिन हम लोग साफ बच गए थे और देर शाम चंडीगढ़ स्टेशन पहुच गए, जहां से रात 9 बजे की ट्रेन से हम लोग वापस लखनऊ आ गए ।