कवि – अविनाश पाण्डेय
पपिहा कहे पियु हमसे ना कहात बा
कजरी गवात बा ना!
पड़े रिमझिम फुहार, डोले अमवा क डार
केहू झुलवा झुलाए, ई जोहात बा
कजरी गवात बा ना!
बहे पुरवा झकझोर, जोहे मनवा सगरी ओर
उनके नेहिया क जागल पियास बा
कजरी गवात बा ना!
गमके माटी सोन्ह-सोन्ह, कटे रात ओन्ह-ओन्ह
सुनी सेजिया से जिया ना जुड़ात बा
कजरी गवात बा ना!
भिजते अइलें पिया मोर, बहे नयना से लोर
आज मिलल हमें बड़का सौगात बा
कजरी गवात बा ना!