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ग़ज़ल

Posted on August 4, 2023

बृजेश गिरि

बावफा होने से अच्छा है बेवफा होना,

बहुत मुश्किल है इस जमाने में अच्छा होना

कैसे-कैसे लोगों को मिल गई मंजिलें,

मेरी किस्मत में लिखा है तुझसे जुदा होना।

आज के दौर में कौन किसी का होता है,

ये आम बात है लोगों का तन्हा होना।

बहुत से लोग मुझे नाकाम शख्स कहते हैं,

क्या गुनाह है किसी का सच्चा होना।

याद बहुत आते हैं दिन मुझे बचपन के,

चाहता है दिल मेरा फिर से बच्चा होना।

3 thoughts on “ग़ज़ल”

  1. Pinki says:
    August 4, 2023 at 2:45 pm

    Very nice sir 👌👍👌👍

    Reply
  2. Sunaina Chauhan says:
    August 4, 2023 at 4:02 pm

    Nice verry nice sir

    Reply
  3. Sunaina Chauhan says:
    August 4, 2023 at 4:02 pm

    Nice verry nice sir

    Reply

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