Skip to content
वीथिका
Menu
  • Home
  • आपकी गलियां
    • साहित्य वीथी
    • गैलिलियो की दुनिया
    • इतिहास का झरोखा
    • नटराज मंच
    • अंगनईया
    • घुमक्कड़
    • विधि विधान
    • हास्य वीथिका
    • नई तकनीकी
    • मानविकी
    • सोंधी मिटटी
    • कथा क्रमशः
    • रसोईघर
  • अपनी बात
  • e-पत्रिका डाउनलोड
  • संपादकीय समिति
  • संपर्क
  • “वीथिका ई पत्रिका : पर्यावरण विशेषांक”जून, 2024”
Menu

पिताजी के मुंह से पिताजी की बातें

Posted on May 30, 2023

व्यंग्यकार- चुनमुन जी

हमारे ननिहाल में एक थे हरखू भैया, बेचारे भोले -भाले हरखू और कड़कदार मिर्ची की तरह तीखी उनकी घरवाली । हरखू भाई के समधी आने वाले थे तो खुब अच्छी -अच्छी मोटी लिट्टी,लहसुन-मिर्ची की चटनी और हमारे ननिहाल से गये दही का बढ़िया माठा तैयार हुआ चकाचक….
दोनों समधी जी आंगन से सटे ओसारे में पीढा पर बैठे, हंसी-मजाक, ठट्ठा में भोजन शुरु हुआ तब तक घरवाली ने बुलाकर धीरे से हरखू जी को समझाया के तीन ही मोटी लिट्टी बनाई हूं वैसे तो पेट भर ही जाएगा समधी जी का लेकिन मर्यादा के अनुसार मैं दूसरी लिट्टी के लिए पुछूंगी तो आप पहले ही नहीं-नहीं कह दीजिएगा तो आपका सुनकर वो भी मना कर देंगे तो तीसरी मैं खा लूंगी ।

बेचारे हरखू भैया ने आंख के इशारे पर दूसरी लिट्टी की बात आते ही मना तो करना चाहा पर हिम्मत नहीं हो सकी, बोले लाओ आधी दे ही दो समधी को ।अब समधी जी पीछे क्यों रहते अपनी वाली हरखू को दे दी, मजबूरी में बची आधी लिट्टी समधी जी की थाली में पड़ी । आगे देखिए पत्नी बुरी तरह नाराज तो थी ही बोली, “सुनो समधी जी को दुआर पर सुलाना, खुली हवा लगेगी और तुम छत पर सोना । हरखू ने ज़िद करके समधी जी को दुआर पर सुला दिया, अब भैया आधी रात को जब मच्छर ने काटना शुरु किया तो समधी जी छत पर पहुंचे और हरखू को नीचे भेज दिया। छत पर ठंडी हवा में जैसे ही आंख लगी थी तब तक समधी जी के ऊपर ले झाड़ू-दे झाड़ू की पिटाई शुरु हुई । समधी जी बाप-बाप चिल्लाते हुए नीचे भागे और उनको देखकर समधिन घर में भागीं….
जगह बदल जाने से लिट्टी का गुस्सा हरखू की जगह समधी जी पर उतर गया और समधी जी उसी वक्त अपने गांव को निकल लिए …” अब आगे तो आप खुद ही समझदार हैं …….

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts

  • वीथिका ई पत्रिका का मार्च-अप्रैल, 2025 संयुक्तांक प्रेम विशेषांक ” मन लेहु पै देहु छटांक नहीं
  • लोक की चिति ही राष्ट्र की आत्मा है : प्रो. शर्वेश पाण्डेय
  • Vithika Feb 2025 Patrika
  • वीथिका ई पत्रिका सितम्बर 2024 ”
  • वीथिका ई पत्रिका अगस्त 2024 ” मनभावन स्वतंत्र सावन”
©2025 वीथिका | Design: Newspaperly WordPress Theme