कबाब का इतिहास
तुर्की के रसोईघर मे बनने वाला यह व्यंजन अब भारतीयों की थालियाँ भी सजाता है। कई प्रकार के कबाब जैसे दही कबाब,गुलावटी कबाब, काकोरी कबाब न जाने ऐसे कितने अनगिनत नाम जो हमारी जुबां पर बसे हैं | ऐसा कहा जाता है कि सबसे पहले कबाब तुर्की ने दिया | शाही रसोई जब युद्ध के शिविरों में पहुंची तब कबाब का जन्म हुआ | इसको पकाना बेहद ही आसान था, सैनिक अपनी युद्ध यात्रा के दौरान मांस बचाकर रखते और इसे अपनी तलवार पर रख कर भुनते फिर तरह-तरह के मसालों के साथ खाते| बस यहीं से कबाब अस्तित्व में आया |
इसका सबसे पहला वर्णन 1377 ई मे लिखी गई किताब किस्सा-ए-युसूफ मे मिलता है। कबाब तुर्की अफगानों का पसंदीदा व्यंजन था | इतिहासकारों के अनुसार चंगेज़ खान भी युद्ध के समय मांस को तलवार पर रख कर पकाता | 16वीं शताब्दी में गोलकुंडा विजय के बाद मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब ने भी सैनिकों के लिए कबाब पकाए थे |
आज कबाब सिर्फ मांस का ही नहीं बल्कि सब्ज़ी, पनीर, दही आदि का भी बनाया जाता है | शाकाहारी कबाब की खोज भारत में हुई |
दही कबाब
सामग्री-
500 ग्राम दही
15-20 काजू
एक कप प्याज लम्बे टुकड़ों में कटा हुआ
हरी मिर्च बारीक कटी हुयी
1/2 कप मकई के आंटे का घोल
½ कप पनीर कद्दूकस किया हुआ
1 चम्मच काली मिर्च
1 चम्मच पिसी हुई लाल मिर्च
3 चम्मच घी
नमक स्वादानुसार
दही-कबाब बनाने का तरीका –
सबसे पहले दही को मखमली कपडे में बाधकर, उसके पानी निकलने तक टांग दें | एक पैन में घी गर्म कर उसमें काजू और प्याज़ को मध्यम आंच पर भुनें | प्याज़ को हल्का भूरा होने तक भूनने के बाद काजू और प्याज़ को निकाल लें | याद रखें प्याज़ अपनी गर्मी में स्वयं पकता है | अब काजू को मिक्सी में दरदरा पीस लें | उसके बाद एक कटोरी में भुने हुए प्याज़, काजू और कद्दूकस किये पनीर का मिश्रण तैयार कर लें |
तैयार मिश्रण में 1 चम्मच काली मिर्च, नमक, 1 चम्मच लाल मिर्च तथा 2 चम्मच हरी मिर्च के बारीक टुकड़े एवं नमक स्वादानुसार मिला लें | अब आपकी फिलिंग तैयार है |
अब मखमली कपडे से दही को निकालें तथा उसे अच्छे से गूँथ लें | अब इस दही की लोई बना लें | अब इन लोईयों में तैयार किया हुआ मिश्रण अच्छे से पैक करते हुए भर लें | अब कढाई में रिफाईन तेल डालें और दही के गोलों को मकई के आंटे के घोल में डुबोकर कढाई में भूरा रंग आने तक फ्राई करें |
आपका दही कबाब तैयार है |
लेखक – अश्विनी तिवारी