मिखाईल लेर्मेंतोव
अनुवादक – डॉ शशि कुमार
रुसी भाषाविद
ब्लागदारनस्त
मिखाईल लेर्मेंतोव रूस के महान स्वछंदतावादी कवि हैं, इनका जन्म 3 अक्टूबर 1814 को तथा मृत्यु 15 जुलाई 1841 को हुई । रुसी साहित्य में कविता व गद्य दोनों पर इनका स्पष्ट प्रभाव आज भी देखा जा सकता है । इन्होंने रूस में मनोवैज्ञानिक उपन्यासों की नीव रखी थी । ब्लागदारनस्त (Благодарность) इनकी प्रसिद्ध कविता है, जिसका हिंदी अनुवाद सामने है –
За все, за все тебя благодарю я:
За тайные мучения страстей,
За горечь слез, отраву поцелуя,
За месть врагов и клевету друзей;
За жар души, растраченный в пустыне,
За все, чем я обманут в жизни был…
Устрой лишь так, чтобы тебя отныне
Недолго я еще благодарил.Стихотворение
अनुवाद :-
सब कुछ के लिए मैं आभारी हूँ
जुनून में छिपे हुए परेशानियों के लिए
आंसुओं के कड़वाहट के लिए, विष को चुमते हुए भी
दुश्मनों के बदलों और दोस्तों के तानों के लिए भी
आत्मा में जलती आग जो मरुस्थलों में बरबाद हो गयी
सब कुछ के लिए, यहाँ तक की ज़िन्दगी में छलावों के लिए भी
अब इतना आभारी हूँ की समय भी कम है
आभार व्यक्त करने के लिए .