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लघुकथा – जय श्री

Posted on November 15, 2023

जय श्री नवोदित लेखिका हैं, बिम्बों और प्रतीकों के माध्यम से समकालीन विषयों पर रचे पात्र-विन्यास और कथानक इनकी महत्वपूर्ण विशेषता है

बिकासुल

(प्रातः कालीन समय, कंपनी गार्डन का दृश्य, दो मित्र साथ में टहलते हुए)

पहला मित्र (टहलते हुए, उदास मन से )- छाले

दूसरा मित्र -(नीचे की तरफ आंख करके घूरते हुए गंभीर मुद्रा में) चप्पल पहन कर टहला करो

                   (दूसरा दिन)

पहला मित्र-छाले ( दुखी मन से )

दूसरा मित्र -(अपनी भौहें कसते हुए) जूते पहन कर चला करो

                   (तीसरा दिन)

पहला मित्र -छाले

दूसरा मित्र- (गुस्से से लाल)जूते के साथ मोज़े भी पहन कर टहला करो

                    (चौथा दिन)

पहला मित्र -छाले

दूसरा मित्र-(गुस्से से तमतमाते हुए ) उफ़ ये तुम्हारा पैर है या चेहरा? जब भी देखो,छाला-छाला-छाला ! यह लो बिकासुल और अपने पैरों में ही लगा लो

                   (पांचवा दिन)

पहला मित्र- छाले……..

दूसरा मित्र-(गुस्से में चिल्लाते हुए) अरे यार ?

(तभी बीच में टोकते हुए-)

पहला मित्र-(मुस्कुराते हुए) छाले ठीक हो गए हैं……

दूसरा मित्र— ओह …..हमम ( एकटक उसे देखता रहता है )

2. हाफ टैटू

गिल्लू-चलो हम दोनो अपने हाथ पर टैटू बनवा लेते हैं।

किट्टू-अरे वाह ये तो बहुत ही अच्छा विचार है.

गिल्लू-हा वो तो हैं पर हमारे टैटू अधूरे रहेंगे।

किट्टू-अधूरे? मुझे कुछ समझ नहीं आया.   

गिल्लू- हमारे टैटू तभी पूरे होंगे जब हम दोनों एक साथ होंगे। (मुस्कुराते हुए)। हमारे टैटू सभी के लिए पहेली होंगे, वो हमारे मिलने पर ही पूरे होंगे।

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