रंजना बिनानी काव्या
गोलाघाट असम
सुनो धरा की करुण पुकार
हरी-भरी ये ,शस्य श्यामला धरा हमारी,
आओ करें.. हम इसका श्रृंगार..।
मत करो ..प्रदूषित इसको,
सुनो धरा की, करुण पुकार।
अन्न ,फल, फूल, देती हमको,
यह है ,हम सबकी पालनहार।
शीतल जल, शुद्ध वायु है देती,
यह है हमारी, प्राण आधार…।
अमूल्य रत्नों की ,खान है ये,
मत करो, इसका तिरस्कार।
बंजर होने से, बचा लो इसको,
पेड़ काटकर, मत करो वनों का नाश।
कूड़ा, करकट, प्लास्टिक से बचाओ,
तुम सब मिलकर, रखो ध्यान..।
विकास के नाम पर, विनाश हो रहा,
मत करो ,पृथ्वी मां के सीने पर प्रहार।
आओ आज हम ,शपथ उठाएं,
पृथ्वी मां को, नहीं करेंगे जार- जार।
वृक्ष लगाए …हरियाली लांये..,
लौटायें धरा का, सौंदर्य अपार।