लेखिका -अनु
सुबह -सुबह आंख भी पूरी तरह नहीं खुली थी तब तक कहीं से हो -हल्ला की आवाज़ आने लगी,समझ गया कि भैया ने आज फिर किसी को आपस में भिड़ा दिया । ऐसे ही थे हमारे भैया मस्त स्वभाव वाले, खुशमिजाज पर खुड़चालीपन भी एक से एक करते थे । बहुत खुशनसीब थे हम और हमारा बचपन, भैया मुझे बहुत प्यार करते थे हमेशा साथ लिए रहते और मैं उनकी हां में हां मिलाता हर उजबकई में भी उनकी तरफ से ही रहता।
गांव में लोग भूत-प्रेत के चक्कर में कुछ अधिक ही रहते थे सो भैया बस उसी का लाभ उठाते,जैसे एक हांडी में करिखा पोत कर, उस पर सिन्दूर से टिक कर, लौंग रखकर किसी के भी दुआरे रख देते ,फिर क्या जैसे ही उस घर के लोगों की आंख खुलती तमाशा शुरु हो जाता ,जिसके उपर शंका होती उसको निशाना बनाकर गाली दी जाती ,अगला भी समझ जाता और ठेंठ में भिड़ान हो जाती ।अब देखिए आगे के छोटका भैया एक-आध घन्टे बाद पहोंचते और भीड़ के सामने हीरो बनकर हंड़िया उठा लेते ये कहकर के”ठीक बा भईया भूतवा हमहीं ले जाते हईं तुह लोगन चुप हो जा,छोटू चल चलल जा भूत के साथे”चछोटू मतलब मैं और दोनों लोग शान से गर्दन तान कर चल देते।
ऐसे ही एक भूतहा पेड़ कहलाता था गांव में ,आम का पेड़ था पर डर के कारण कोई पास नहीं जाता था ,मजबूरी थी के रास्ते में पड़ता था इसलिए भगवान का नाम लेकर दौड़ते हुए हमलोग दिन में भी रास्ता पार करते।एक दिन फिर मई की भरी दुपहरी में भैया को कुछ सूझा ,मुझसे बोले “छोटू जा फलनवा के बोलवले आव कइह कि ट्यूबबेल पर भैया बोलवलं हं”मैं चला गया ।मैं उसे भेजकर घर चला गया और जबतक लौटता वो घूरहुआ जोर से चिल्लाता हुआ भयभीत होकर भागता हुआ आ रहा था।बाद में गांव में हल्ला मचा के अमवा पर क भूत पकड़ले बा।लगी सोखइती होने ,दूर-दूर से भूत भगाने वाले भी आए पर वो ठीक नहीं हो रहा था ,बुखार हो गया था ,रह-रह कर चिल्लाता ।खैर भैया और हम भी गए देखने के लिए ।भैया ने पूछा “का भईल रहल ह रे घुरहुआ”बताया उसने के “जब तोहरे बोलवले पर हम ओ दिनवां गईलीं त जइसहीं आम की पेड़वा की लगे पहुंचलीं भईया उसकी बात काटकर तुरंत बोले कि “पेड़वा हीले लगल आ तोरी उपरां ढेर क पतई गिर गईल इहे न” वो बोला हं हं इहे भईल तुं कहां रहला।
भैया बोले “भक्क बकलोल हमहीं त रहलीं पेड़वा पर रे,हमहीं पेड़वा हिलवलीं,पतइआ फेंकलीं।”3 दिन से भूखा, बीमार घुरहुआ बिजली की गति से उठ कर बैठ गया और बोला “सहिए में भक्क मरदवा तुनाहीं”और हंसने लगा ,बिल्कुल ठीक हो गया ।
बस ऐसे ही थे हमारे भईया बहोत मस्त अपनी मौज में रहते और सबकी सहायता भी करते थे।