अर्चिता उपाध्याय कलौंजी का नाम आते ही भोजन के खुबसूरती का एहसास होने लगता है .वैसे तो तरह-तरह से लोग बनाते ही हैं लेकिन गांव की सोंधी मिट्टी से बनी कलौंजी के…
राज बरेठिया, सॉफ्टवेयर इंजिनियर, ट्रेडर यह जीवन के हर पहलू में डिजिटल क्रांति का युग है। राजनीति से लेकर धर्म तक, सामाजिक गतिशीलता से लेकर आर्थिक स्वतंत्रता तक, व्यक्तिगत गोपनीयता से लेकर…
प्रो. मोहम्मद ज़ियाउल्लाह, विभागाध्यक्ष, इतिहास विभाग डीसीएसके पीजी कॉलेज , मऊ हिन्दी एक महान भाषा है। सैकड़ों साल पुरानी और भारत की निशानी है। गर्व की बात यह है कि बिना किसी…
ई वैभव द्विवेदी हम इंसान बहुत जिज्ञासु हैं, आज के समय से ही नहीं बल्कि मनुष्य ने अपने शुरुआत से घुमक्कड़ी को अपनी जिज्ञासा शांत करने का एक प्रमुख साधन बनाया है…
आनंद कुमार सच में कितना प्यारा था मेरे नानी का घर… चापा कल से, पानी का भरना नदी में जाकर, छप्प-छप्प नहाना बगीचे में जाकर, शरीफा को खाना, आम के पेड़ पर,…
डॉ धनञ्जय शर्मा, लेखक व असिस्टेंट प्रोफेसर, हिंदी विभाग सर्वोदय पोस्ट ग्रेजुएट महाविद्यालय, घोसी, मऊ बलिया जिले के बिल्थरारोड स्टेशन से दो मील पश्चिम बसा गाँव ससना अपनी प्राचीनता को लेकर उतना…
अभिदीप सुहाने, युवा रंगकर्मी छतरपुर ( म.प्र.) लोक एक बहू अर्थी शब्द है जो कि मूलतः संस्कृत का है। विश्व का कोई भी विशेष भाग, प्रजा/लोग आदि इसी शब्द के पर्याय या…
डॉ अपर्णा पाण्डेय, प्रवक्ता, हिंदी स्व. कुबेर सिंह स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मिर्ज़ापुर गाँव को यदि लोक संस्कृति का मूर्त स्वरुप कहें तो अत्युक्ति न होगी । गाँव का आदमी निरक्षर भले हो लेकिन…
दयाशंकर तिवारी, मऊ, उत्तरप्रदेश (लेखक वरिष्ठ साहित्यकार हैं, लोक साहित्य में आपके 4 काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं) भारतीय संस्कृति में लोक जीवन और लोक साहित्य का चोली-दामन का साथ…