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हम याद बहुत आएंगे

Posted on September 5, 2023

प्रसिद्ध रंगमंच निर्देशिका चित्रा मोहन जी का भारतेंदु बाबू को समर्पित मौलिक नाटक “हम याद बहुत आएंगे“ आदरणीया चित्रा मोहन जी प्रख्यात व वरिष्ठ रंगमंच निर्देशिका व प्रवक्ता हैं । आप भारतेंदु…

हिंदी के बहाने से : हिंदी दिवस विशेष

Posted on September 5, 2023

डॉ नमिता राकेश, वरिष्ठ साहित्यकार सितम्बर का महीना शुरू हो चुका था और हिंदी पखवाड़े का भी ! अक्सर हिंदी पखवाड़े और श्राद्ध की तिथियाँ आस पास ही पड़ती है और हम…

भारत और चंद्रयान 3

Posted on September 5, 2023

डॉ सुधांशु लाल यूं तो चाँद हमेशा से मनुष्य के लिए कौतूहल का विषय रहा है, हमारी कहानियों, किस्सों और कविताओं मे चाँद को मामा से ले कर प्रेमी, प्रेयसी तक कह…

बाबू भारतेंदु हरिश्चन्द्र : 173 वीं जयंती पर नमन

Posted on September 5, 2023

सुमित उपाध्याय लेखन की रचना प्रक्रिया सदैव अपनी ओर आलोचकों, समीक्षकों का ही नहीं अपितु पाठकों का भी ध्यान आकर्षित करती रही है । किसी व्यक्ति के सामने ऐसी कौन सी परिस्थितियां…

हास्य व्यंग्य : सुरंगों का खतरा

Posted on September 5, 2023

व्यंग्यकार विनय प्रताप जी मेरी पत्नी ने मुझे सवेरे-सवेरे एक बहुत बड़ी बहस में उलझा दिया। मैं बैठा हुआ टी.वी. पर समाचार देख रहा था तभी उन्होंने सुरंगों के सम्बन्ध में अपनी…

कविता : बदल रहा हरेक समीकरण है

Posted on September 5, 2023

वरिष्ठ कवि श्री परमहंस तिवारी ‘परम’, वाराणसी बदल रहा हरेक समीकरण है गाँव का हो रहा शहरीकरण है। कुएँ का मुँह हुआ अब तंग है रहट की बाल्टी पर जंग है छेद…

कविता : सत्य -असत्य के बीच

Posted on September 5, 2023

डॉ अनूपा कुमारी सत्य – असत्य के बीच उधेड़-बुन में उलझा मानव कभी दिल तो कभी दिमाग से बहुत कुछ सोचता है सोचता ही रहता है किन्तु परिणाम तक नहीं पहुंच पाता…

कविता: मैं ऐसी ही हूं

Posted on September 5, 2023

प्रतिमा सिंह, मऊ हां मैं बोल जाती हूं ज्यादा कभी-कभी, क्योंकि मैं खुद को संभालना नहीं जानती। हां मैं कर जाती हूं नादानियां कभी-कभी क्योंकि मैं समझना नहीं जानती। हां मैं बन…

कविता : धरती के आइने में चांद

Posted on September 5, 2023

डॉ धनञ्जय शर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर सर्वोदय पी.जी. कॉलेज, घोसी, मऊ धरती के आइने में,असंख्य रश्मियां बिखेरतासतमी का बांका चांदउतर रहा जमीं पर दूधिया रोशनी फैलाते। श्वेत-श्याम अस्पष्ट चेहरों परप्रश्नांकुल निगाहों में घिरा,सन्…

कहानी – और वो चला गया…

Posted on September 5, 2023

लेखिका : ज्योत्सना प्रवाह वरिष्ठ साहित्यकार, वाराणसी यह कहानी है एक औरत की… जिसमें वही चेतना बसती थी जो आम औरतों में होती है बस, उसकी किस्मत अलग थी उसका नाम था…

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