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कविता – नव वर्ष

Posted on February 19, 2024

मनोज कुमार सिंह

लेखक/साहित्यकार/

उप-सम्पादक, कर्मश्री मासिक पत्रिका

आया नववर्ष लेकर नई सुगंध स्वर्णिम नूतन बिहान

आंखों में उम्मीदों की चमक, हर सीने में सुमधुर गान,

आया नववर्ष लेकर नई सुगंध स्वर्णिम नूतन बिहान।

मिट जाए मन, मस्तिष्क से अविद्या ,आलस्य ,अज्ञान,

बंदित, अभिनंदित, पूजित हो सर्वत्र तर्क,दर्शन, ज्ञान।।

धूल धूसरित हो जाए धरा से, क्रोध , कलुष, अभिमान ,

निर्मलता हो जन जीवन में, अकिंचन का रहे सम्मान।।

अपने अतीत का रहे बोध,मर्यादा, मूल्यों,का रहे ध्यान ,

आदर्शो की सरिता से अभिसिंचित हो सारा जहान।।

सबके जीवन चरित्र में महके स्वावलंबन स्वाभिमान ।

रचना , सृजन नव चेतना से बने अपना भारत महान।।

बुलबुल चहकें ,कोयल कूके झुरमुट आंँगन सिवान ,

खिलखिलाता बचपन,खुशियो से झूमे नर-नारी जवान।।

सदियों तक सजा रहे भारत मां का सतरंगी परिधान,

निर्भीक, निडर कर्तव्यनिष्ठ बने भारत का हर संतान।।

दुर्गम पथ पर चलने वाले राही का हो अमिट निशान ,

अब सबका मजहब बने अमन, शांति, सच्चाई, ईमान।।

आया नववर्ष लेकर नई सुगंध स्वर्णिम नूतन बिहान।।

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